अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ अधिवक्ताओं ने किया कार्य बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन
Indian 24 Circle News
राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा, अधिवक्ताओं ने कहा- जब तक विधेयक वापस नहीं होगा, आंदोलन जारी रहेगा
जौनपुर। प्रस्तावित "अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025" के विरोध में बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के आह्वान पर जिले के दीवानी और कलेक्ट्रेट के अधिवक्ताओं ने कार्य बहिष्कार कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। अधिवक्ताओं ने कलेक्ट्रेट तक नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला और प्रशासनिक अधिकारी को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
संशोधन के खिलाफ नाराजगी, लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व दीवानी बार के अध्यक्ष सुभाष चंद्र यादव और मंत्री रण बहादुर यादव ने किया। वहीं, कलेक्ट्रेट बार के अध्यक्ष घनश्याम सिंह और मंत्री मनोज मिश्रा के सहयोग से अधिवक्ताओं ने अपनी मांगों को प्रशासन तक पहुंचाया। अधिवक्ताओं ने ज्ञापन में लिखा कि अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन उनके अधिकारों और हितों पर सीधा हमला है।
उन्होंने कहा कि यह विधेयक राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर अधिवक्ताओं की संस्था के लोकतांत्रिक अस्तित्व को खत्म करने की साजिश है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस कानून के विरोध में पूरे देश के अधिवक्ता लामबंद हैं और जब तक सरकार इसे वापस नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग
प्रदर्शन कर रहे अधिवक्ताओं ने सरकार पर एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को रोकने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति की सहमति न मिलने के कारण इस कानून को रोका गया है, जिससे साफ पता चलता है कि सरकार इसे लागू ही नहीं करना चाहती। अधिवक्ताओं ने मांग की कि एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए और "अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025" को पूरी तरह रद्द किया जाए।
प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं की भागीदारी
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन में पूर्व अध्यक्ष ब्रजनाथ पाठक, समर बहादुर यादव, रमेश चंद्र उपाध्याय, प्रेमनाथ पाठक, हिमांशु श्रीवास्तव, देवी प्रसाद सिंह, राजनाथ चौहान, मोहम्मद उस्मान, रुद्र प्रकाश यादव, विनय सिंह, ओम प्रकाश पाल, मृदुल यादव, सुरेंद्र प्रजापति, संजय श्रीवास्तव, वीरेंद्र त्रिपाठी, अवधेश यादव, सी पी दुबे, बृजेश निषाद, निलेश निषाद, शैलेश मिश्र, मंजीत कौर, रीता सरोज, बिंदु चौधरी, घनश्याम ओझा, पद्माकर उपाध्याय, आशुतोष उपाध्याय, मनीष सिंह, शहंशाह हुसैन रिजवी, राहुल तिवारी, ध्यान चंद ओझा, मृत्युंजय तिवारी, ज्ञानेंद्र दुबे, अरविंद तिवारी, घनश्याम यादव, शशांक दुबे, विवेक तिवारी, प्रवीण यादव, सत्येंद्र यादव, लाल प्रताप यादव, राजीव मिश्रा, संदीप यादव, जरगाम अहसन, दान बहादुर यादव, श्री प्रकाश यादव, आशुतोष यादव, क्षितिज तिवारी, रामा यादव, विनय उपाध्याय, आशीष शुक्ला, पंकज गौतम, अतुल श्रीवास्तव, सुनील यादव, राजकुमार निषाद, अखिलेश यादव, राजेश प्रजापति सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।
अधिवक्ताओं ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो यह आंदोलन और उग्र होगा।


