जौनपुर चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला: "मिशन रिमूव करप्शन" के संचालक वकार हुसैन का बड़ा खुलासा Indian 24 Circle News

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जौनपुर चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार का बोलबाला: "मिशन रिमूव करप्शन" के संचालक वकार हुसैन का बड़ा खुलासा

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जौनपुर। चकबंदी विभाग को लेकर विवाद और भ्रष्टाचार की शिकायतें अब नई बात नहीं रही हैं। इस विभाग को प्रदेश का सबसे भ्रष्ट विभाग कहा जाए तो शायद गलत नहीं होगा। चकबंदी के नाम पर किसानों का शोषण, भूमि पैमाइश और चकों के आवंटन में धन उगाही जैसी शिकायतें आम हो गई हैं। "मिशन रिमूव करप्शन" के संचालक और हिंदुस्तान मानवाधिकार संस्था के उत्तर प्रदेश कार्यवाहक अध्यक्ष वकार हुसैन ने इस मुद्दे को लेकर बड़ा खुलासा किया है।  

भ्रष्टाचार में दलालों की भूमिका...

श्री हुसैन ने बताया कि चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए दलालों का सहारा लिया जाता है। ये दलाल ज्यादातर उन्हीं गांवों के किसान होते हैं, जो न केवल किसानों से धन उगाही में शामिल होते हैं, बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम भी करते हैं।  

दक्खिनपट्टी गांव में चकबंदी पर रोक का मामला..

उन्होंने बताया कि दो दशक पहले जौनपुर तहसील के दक्खिनपट्टी गांव में चकबंदी कार्य को माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने अनियमितताओं के कारण रोक दिया था। लेकिन 2022 में बिना न्यायालय की अनुमति लिए चकबंदी कार्य फिर से शुरू कर दिया गया। इसके बाद भ्रष्टाचार का सिलसिला फिर शुरू हो गया।  

मुख्यमंत्री और चकबंदी आयुक्त को शिकायत...

श्री हुसैन ने कहा कि उन्होंने चकबंदी विभाग की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतें तीन बार मुख्यमंत्री, चकबंदी निदेशक, चकबंदी आयुक्त और जिलाधिकारी तक पहुंचाई हैं। परिणामस्वरूप, चकबंदी आयुक्त लखनऊ ने विभाग से रिपोर्ट मांगी है।  

16 दिसंबर को बयान दर्ज करने का अनुरोध ...

उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर को चकबंदी सहायक अधिकारी का फोन आया, जिसमें 16 दिसंबर को बयान और साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए कहा गया। इस पर श्री हुसैन ने सवाल उठाया कि क्या आरोपी ही जांच करेंगे तो निष्पक्षता की उम्मीद कैसे की जा सकती है।  

भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मुखर वकार हुसैन... 

श्री हुसैन भ्रष्टाचार के मुखर विरोधी के रूप में पहचाने जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी शिकायतों पर पहले भी कई भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। वे पहली बार तब सुर्खियों में आए जब सरायख्वाजा थाने की पुलिस और एलआईयू अधिकारियों ने पासपोर्ट आवेदन पर रिपोर्ट लिखने के एवज में रिश्वत मांगी थी। उनकी शिकायत पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कार्रवाई की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय को दी। इसके बाद छह पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज हुआ।  

मिशन रिमूव करप्शन पर जोर..

श्री हुसैन ने कहा, "भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा होना जोखिम भरा काम है। जब भ्रष्टाचार समंदर में नमक की तरह घुला हो, तो इसे हटाना मुश्किल है। लेकिन सच के लिए खड़ा होना जरूरी है।"  

चकबंदी विभाग में फैले भ्रष्टाचार को लेकर वकार हुसैन के आरोपों ने फिर से एक गंभीर बहस को जन्म दिया है। क्या इस विभाग में सुधार हो सकेगा, यह देखना बाकी है। लेकिन श्री हुसैन जैसे लोगों की सक्रियता से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद की किरण जरूर नजर आती है।


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