पासपोर्ट वेरिफिकेशन में भ्रष्टाचार का आरोप — मिशन रिमूव करप्शन के संचालक ने राष्ट्रपति सहित शीर्ष अधिकारियों को भेजा पत्र
Indian 24 Circle News
जौनपुर। “क्या भ्रष्टाचार की लानत से देश के लोगों को कभी मुक्ति मिल सकती है, या इसे केवल कागज पर ही भ्रष्टाचार मुक्त दिखाकर सरकारें अपनी पीठ थपथपाती रहेंगी?” — इन तीखे शब्दों के साथ मिशन रिमूव करप्शन के संचालक एवं हिंदुस्तान मानवाधिकार संगठन के राष्ट्रीय महासचिव वक़ार हुसैन ने देश के राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, पुलिस महानिदेशक, सीबीआई लखनऊ तथा पुलिस अधीक्षक, जनपद जौनपुर को एक पत्र भेजा है।
पत्र में उन्होंने पासपोर्ट आवेदकों से धन उगाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पासपोर्ट सेवा केंद्रों, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों और पुलिस वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान आवेदकों से खुलेआम रिश्वत की मांग की जा रही है।
राष्ट्रीय महासचिव श्री हुसैन ने पत्र में उल्लेख किया है कि करीब दो दशक पूर्व भी उन्होंने इसी मुद्दे पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को शिकायत भेजी थी, जिसके बाद हुई जांच में छह पुलिसकर्मी और कई एलआईयू अधिकारी दोषी पाए गए थे। उस समय यह खबर कई प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित हुई थी, जिससे आम जनता में यह विश्वास जगा था कि अब उन्हें पासपोर्ट के लिए इस जिल्लत और भ्रष्टाचार से छुटकारा मिल जाएगा।
लेकिन, पत्र के अनुसार, आज भी स्थिति में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है। पासपोर्ट आवेदकों को अपराधियों की तरह थानों में बुलाया जाता है और वेरिफिकेशन के नाम पर उनसे मनमानी रकम वसूली जाती है। शिकायत में यह भी कहा गया है कि रिन्यूअल आवेदकों के लिए पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य नहीं होने के बावजूद, उनसे भी धन की मांग की जाती है।
उन्होंने उच्च अधिकारियों से मांग की है कि इस व्यवस्था में सुधार लाया जाए, भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और आम नागरिकों को पासपोर्ट जैसी बुनियादी सुविधा के लिए रिश्वत की बेड़ियों से मुक्त किया जाए।
“भ्रष्टाचार पर रोक तभी लगेगी, जब शिकायतों को दबाया नहीं जाएगा, बल्कि ईमानदारी से जांच कर दोषियों को दंडित किया जाएगा।” — पत्र में लिखा गया है।

