गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थक : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल Indian 24 Circle News

Indian 24 circle news
By -
0

गुरु-शिष्य संवाद से ही शिक्षा सार्थक : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

Indian 24 Circle News


पूर्वांचल विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में 79 मेधावियों को 80 स्वर्ण पदक, 445 शोधार्थियों को मिली पीएच.डी., दो को डी.लिट. की उपाधि

जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय का 29वां दीक्षांत समारोह सोमवार को महंत अवेद्यनाथ संगोष्ठी भवन में भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर के 79 मेधावियों को 80 स्वर्ण पदक प्रदान किए। साथ ही 445 शोधार्थियों को पीएच.डी. और दो शोधार्थियों को डी.लिट. की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस वर्ष विश्वविद्यालय के 80141 विद्यार्थियों को स्नातक और परास्नातक की डिग्रियाँ प्रदान की गईं।

गुरु के साथ संवाद से ही होती है शिक्षा सार्थक : राज्यपाल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा तभी सार्थक होती है जब विद्यार्थी गुरु के पास बैठकर संवाद करें। इसी कारण विश्वविद्यालयों में 75% उपस्थिति अनिवार्य की गई है और इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक केवल शिक्षा ही नहीं दें, बल्कि विद्यार्थियों का चरित्र निर्माण भी करें।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में गंभीर और उपयोगी शोध कार्य होने चाहिए, जिससे समाज और राष्ट्र को लाभ मिले। उन्होंने गुजरात में इसरो की पहल का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे प्राकृतिक आपदाओं, विशेषकर आकाशीय बिजली से बचाव हेतु शोध कार्य किया जा रहा है। उन्होंने भारतीय परंपरा में मौजूद आयुर्वेदिक औषधियों और पुरातन ज्ञान पर शोध को आवश्यक बताया।

राज्यपाल ने कहा कि “विश्वविद्यालयों के बीच एमओयू का उद्देश्य आपसी ज्ञान का आदान-प्रदान कर शोध और नवाचार को बढ़ावा देना है।” उन्होंने विश्वविद्यालयों से गुणवत्ता, नैक ग्रेडिंग और एनआईआरएफ रैंकिंग पर ध्यान देने की अपील की ताकि विद्यार्थी उन्हें प्राथमिकता दें।


मुख्य अतिथि सुनील दत्त ने कहा – ‘तकनीक से समाज बदलता है’

समारोह के मुख्य अतिथि रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के डिवाइसेज़ एंड सेल्स प्रेसीडेंट सुनील दत्त ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि दीक्षांत अंत नहीं, बल्कि नई शुरुआत है। उन्होंने कहा कि जब तकनीक सबके लिए होती है, तभी समाज बदलता है।

उन्होंने जियो की सफलता की कहानी साझा करते हुए कहा कि “मेड इन इंडिया डिजिटल क्रांति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के सपनों का साकार रूप है।”
उन्होंने विद्यार्थियों को सात जीवन सिद्धांत बताए —

“बड़ा सोचो, छोटा शुरू करो, तेजी से बढ़ो, निरंतर सीखो, असफलता से मत डरो, उपयोगकर्ता नहीं, निर्माता बनो, और तकनीक के साथ मानवीय बने रहो।”


शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय बोले – माता-पिता और गुरु के बलिदान को न भूलें

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि आज की मुस्कान उनके माता-पिता के त्याग और गुरुओं के संघर्ष का परिणाम है। उन्होंने युवाओं से देश और समाज की सेवा करने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सपना युवाओं की सहभागिता से ही संभव है। मंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम, कृष्ण, विवेकानंद, चाणक्य, शिवाजी और राणा प्रताप ने युवावस्था में ही अपना शौर्य और नेतृत्व दिखाया।


राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने बेटियों को दिया संदेश

प्रदेश की उच्च शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती रजनी तिवारी ने कहा कि शैक्षणिक उपाधियाँ विद्यार्थियों की मेहनत और लगन का परिणाम हैं। उन्होंने कहा कि सफलता और असफलता दोनों जीवन के अंग हैं, और इन्हीं से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए।
बेटियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वे देश की दशा और दिशा बदलने का सामर्थ्य रखती हैं।


कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने रखी उपलब्धियों की झलक

कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय ने इस वर्ष शिक्षा, शोध और नवाचार के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।

  • 303 शोधपत्र प्रकाशित हुए,

  • 15 पेटेंट दर्ज हुए,

  • विश्वविद्यालय को एनआईआरएफ रैंकिंग 2024 में उत्तर प्रदेश में दूसरा और देश में 125वां स्थान मिला।

  • 22 शोध परियोजनाएँ संचालित हैं और 9500 शोधग्रंथों के साथ विश्वविद्यालय प्रदेश में चौथे स्थान पर है।

  • ईआरपी पोर्टल लागू किया गया और प्रवेश में 23% की वृद्धि हुई।


डिजीटल युग की ओर कदम : डिग्रियाँ अपलोड हुईं डिजीलॉकर में

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आईपैड के बटन दबाकर 80,141 विद्यार्थियों की डिग्रियाँ डिजीलॉकर में अपलोड कीं। अब विद्यार्थी अपनी डिजिटल डिग्री आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।


विशेष सम्मान और पुरस्कार

  • एमए जनसंचार में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर रक्षित प्रताप सिंह को अतुल माहेश्वरी स्वर्ण पदक और विश्वविद्यालय का स्वर्ण पदक मिला।

  • पांच शिक्षकों को उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया —
    डॉ. विक्रांत भटेजा, प्रो. मानस पांडेय, डॉ. सुजीत कुमार, डॉ. जानवी श्रीवास्तव और डॉ. वनिता सिंह।

  • राज्यपाल ने 500 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए किट प्रदान कीं।

  • गोद लिए गए गांवों के बच्चों को राज्यपाल के हाथों उपहार दिए गए।


शोध और प्रकाशन के क्षेत्र में भी उपलब्धि

दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘गतिमान’ और छह पुस्तकों का विमोचन किया गया। इनमें डॉ. आलोक गुप्ता, डॉ. सोनम झा, डॉ. आलोक कुमार दास और डॉ. शिवशंकर जैसी विद्वानों की पुस्तकें शामिल थीं।
इसके साथ ही जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र की पुस्तक ‘कर्म कुंभ’ का भी विमोचन हुआ।


उपाधियाँ और पदक वितरण

  • पीएच.डी. प्राप्त शोधार्थी: 445 (पुरुष 292, महिलाएँ 155)

  • डी.लिट. प्राप्त शोधार्थी: 2 (एक पुरुष, एक महिला)

  • स्वर्ण पदक प्राप्त विद्यार्थी: 79 (47 छात्राएँ, 32 छात्र)

    • स्नातक स्तर : 24

    • परास्नातक स्तर : 55


अंत में

समारोह के पूर्व राज्यपाल का स्वागत विश्वविद्यालय के हेलीपैड पर कुलपति प्रो. वंदना सिंह, विधायक रमेश मिश्र, जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र और एसपी डॉ. कौस्तुभ ने पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।

राज्यपाल के शब्दों में —

“जब तक विद्यार्थी गुरु से संवाद नहीं करेगा, शिक्षा अधूरी रहेगी। शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री पाना नहीं, बल्कि मानवता, चरित्र और समाज के प्रति जिम्मेदारी को समझना है।”


Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn more
Ok, Go it!