साल्वेशन फाउंडेशन का सम्मान समारोह 8 अक्टूबर को, दो दर्जन फौजियों समेत समाजसेवी और पत्रकार होंगे सम्मानित
जौनपुर। समाजसेवा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे साल्वेशन फाउंडेशन द्वारा आगामी 8 अक्टूबर को विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर उन लगभग दो दर्जन पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय युद्धों में भाग लिया था और वर्तमान में पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में निवास कर रहे हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिले के डीएम और एसपी मौजूद रहेंगे, जो इन वीर सैनिकों को सम्मानित करेंगे।
साल्वेशन फाउंडेशन की नींव पांच वर्ष पूर्व नवरात्र के शुभ अवसर पर संस्थापक के माता-पिता की आकांक्षा और दृढ़ संकल्प के आधार पर रखी गई थी। इस अल्प अवधि में फाउंडेशन ने अस्पताल परिसर को कार्पोरेट स्तर की सुविधाओं से सुसज्जित करने का निरंतर प्रयास किया है। फोरलेन से सटे इस अस्पताल में पूर्वांचल के मरीजों को न केवल आवागमन की सुविधा मिलती है, बल्कि यहां इलाज के लिए कैशलेस सुविधा भी उपलब्ध है।
यहां आयुष्मान भारत कार्ड, निजी हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड, जॉब कार्ड से उपचार की सुविधा तो पहले से थी, अब रिटायर्ड आर्मी कर्मियों के परिवारों के इलाज की केन्द्र सरकार से स्वीकृति भी मिल चुकी है। इसी उपलब्धि के उपलक्ष्य में यह सम्मान समारोह आयोजित किया जा रहा है।
फाउंडेशन द्वारा ग्रामीण क्षेत्र के उन मरीजों के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं जो महानगरों तक नहीं पहुंच पाते। ऐसे मरीजों के लिए 24 घंटे भोजन और दवा की निःशुल्क व्यवस्था उपलब्ध है। वहीं, बाहरी चिकित्सा विशेषज्ञों व स्टाफ के लिए आवासीय सुविधा के साथ-साथ नर्सिंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के विद्यार्थियों को भी बेहतर वातावरण में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
साल्वेशन फाउंडेशन का उद्देश्य है कि एक ही परिसर में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं जो लखनऊ, दिल्ली या मुंबई के कॉर्पोरेट अस्पतालों में होती हैं — वह भी कम खर्च में और मानवीय संवेदना के साथ। एक्सप्रेसवे, फोरलेन और हाईवे पर होने वाली सड़क दुर्घटनाओं के मरीजों को यहां बिना औपचारिकता के पहले तत्काल उपचार दिया जाता है, ताकि उनकी जान बचाई जा सके। बाद में संबंधित प्रक्रिया पूरी की जाती है।
फाउंडेशन का मूल दर्शन ‘सर्वधर्म-समभाव’ पर आधारित है। जैसे संस्थापक परिवार में रामायण के सुंदरकांड पाठ की परंपरा रही है, उसी प्रकार यहां सेवा और समर्पण की भावना के साथ समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का प्रयास किया जा रहा है।
यह समारोह न केवल वीर सैनिकों के सम्मान का प्रतीक होगा, बल्कि यह संदेश भी देगा कि समाज में स्वास्थ्य सेवा और मानवता के प्रति समर्पण ही वास्तविक राष्ट्र सेवा है।

