उत्तर प्रदेश पुलिस की अमानवीय कार्यशैली पर उठे सवाल, वकार हुसैन ने राष्ट्रपति और उच्च अधिकारियों को लिखा पत्र
Indian 24 Circle News
जौनपुर। रिमूव करप्शन मिशन के संचालक और हिंदुस्तान मानवाधिकार संस्था के राष्ट्रीय महासचिव वकार हुसैन ने उत्तर प्रदेश पुलिस की कथित अमानवीय, अनैतिक और असंवैधानिक कार्यशैली के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए देश के राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि पुलिस पर सख्त दिशा-निर्देश जारी कर तत्काल अंकुश लगाया जाए।
वकार हुसैन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि हाल ही में जौनपुर के मुंगराबादशाहपुर थाना क्षेत्र में एक युवक की बर्बर पिटाई की घटना से वे अत्यंत आहत हैं। उन्होंने कहा कि आम जनता के लिए आज भी पुलिस भय और आतंक का पर्याय बनी हुई है, जबकि वर्दी पहनते समय पुलिसकर्मी ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा की शपथ लेते हैं।
हुसैन ने पत्र में लिखा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 78 वर्ष बाद भी पुलिस का व्यवहार आम नागरिकों के प्रति क्रूर और असंवेदनशील है। बेल्ट और टोपी पर लिखे 'सत्यमेव जयते' के आदर्श को भूलकर पुलिस अमानवीय भाषा और व्यवहार अपनाती है। थप्पड़, लाठीचार्ज, झूठे केसों में फंसाना, टॉर्चर करना, और फर्जी एनकाउंटर जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। कई बार निर्दोषों को भी झूठे मुकदमों में जेल भेजा जाता है, जो मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस बिना वारंट घरों में घुसती है, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करती है और लूटपाट जैसे कृत्य भी सामने आए हैं। कई बार विरोध करने पर फर्जी मुकदमों में फंसाने के लिए गांजा, अवैध हथियार या नशे के पदार्थ दिखाकर एनडीपीएस एक्ट की धाराओं में फर्जी केस बना दिए जाते हैं।
वकार हुसैन ने यह भी लिखा कि यूपी पुलिस में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। थानों में बिना रिश्वत दिए आम नागरिक की कोई सुनवाई नहीं होती। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 2006 में जब उन्होंने पासपोर्ट आवेदकों से धन उगाही की शिकायत राष्ट्रपति से की थी, तो जांच में जौनपुर के कई पुलिसकर्मी दोषी पाए गए थे। बावजूद इसके, आज भी थानों में इसी तरह आवेदकों से पैसे वसूले जाते हैं।
उन्होंने दावा किया कि थाना क्षेत्रों में अवैध धंधों जैसे जुआ, शराब, वेश्यावृत्ति, देह व्यापार आदि से वसूली की जाती है। पुलिस 112 सेवा का भी दुरुपयोग कर रही है, जो जनता की तत्काल सहायता के बजाय रंगदारी और धन वसूली में लगी रहती है।
वकार हुसैन ने कहा कि एक समाजसेवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता के तौर पर जब वे पीड़ितों की मदद करने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें भी पुलिस के क्रोध का सामना करना पड़ता है। उन्होंने उच्च अधिकारियों से आग्रह किया कि पुलिस के इस अमानवीय और भ्रष्ट कार्य व्यवहार पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि आम जनता को न्याय और सुरक्षा का भरोसा मिल सके।

