ठंड से ठिठुर रहे लोग, अलाव व्यवस्था कागजों तक सीमित
जौनपुर। उत्तर भारत समेत पूर्वांचल में ठंड का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिले में ठंड से राहत देने के लिए नगर पालिका द्वारा अलाव जलाने की व्यवस्था की जानी थी, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। नगर के विभिन्न चौराहों और सड़कों पर अलाव जलाने की बजाय लोग खुद चंदा और आपसी सहयोग से ठंड से बचने की व्यवस्था कर रहे हैं।
अलाव व्यवस्था कागजों तक सीमित..
नगर पालिका द्वारा दावा किया गया है कि शहर में चिन्हित 185 स्थानों पर रोजाना 40 किलो लकड़ी गिराई जा रही है। अलाव प्रभारी दीपक शाह ने बताया कि शहर को उत्तरी और दक्षिणी दो जोन में बांटा गया है। उत्तरी जोन में 95 और दक्षिणी जोन में 90 स्थानों पर अलाव के लिए लकड़ी पहुंचाई जा रही है। हालांकि, जब हकीकत की जांच की गई तो यह दावे खोखले साबित हुए।
गिराई जा रही लकड़ी पर उठे सवाल ?
पॉलिटेक्निक चौराहा और सिटी स्टेशन रोड जैसे प्रमुख स्थानों पर तीन दिन से लकड़ी नहीं पहुंचाई गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जो लकड़ी गिराई जा रही है, वह भी गीली और मानकों से बहुत कम है। अलाव जलाने के लिए पर्याप्त लकड़ी न मिलने से राहगीर, बुजुर्ग और बच्चे कंपकंपाती ठंड में बेहाल हैं।
ठेकेदारों की लापरवाही और बहानेबाजी....
लकड़ी आपूर्ति के ठेकेदार अरविंद मौर्य ने दावा किया कि आरटीओ द्वारा उनका वाहन परमिट न होने के कारण जब्त कर लिया गया है। वहीं, एक अन्य ठेकेदार सुनील यादव ने स्वीकार किया कि लकड़ी कई स्थानों पर नहीं पहुंचाई जा रही है। उनका आरोप है कि लकड़ी केवल कागजों पर ही गिराई जा रही है और कुछ लोगों के घरों तक सीमित रह गई है।
जिम्मेदारों की निष्क्रियता...
नगर पालिका के अध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ. रामसूरत मौर्य और संबंधित अधिकारियों की ओर से इस समस्या को लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि अलाव की व्यवस्था केवल दस्तावेजों में दिख रही है, जबकि ठंड में लोग असल में राहत से वंचित हैं।
स्थानीय जनता का आक्रोश....
भीषण ठंड के बीच अलाव की सही व्यवस्था न होने से स्थानीय लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि ठंड से बचाव के लिए नगर पालिका का काम केवल दावे करना रह गया है। वहीं, उच्च अधिकारियों की निष्क्रियता से जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है।
क्या होगी कार्रवाई...?
ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और नगर पालिका की कागजी योजनाएं जनता के लिए बेकार साबित हो रही हैं। जिले के उच्च अधिकारियों को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए और अलाव व्यवस्था में हो रही लापरवाही की जांच कर उचित कदम उठाने चाहिए। अन्यथा, जनता का आक्रोश सड़कों पर उतर सकता है।
(रिपोर्ट: जौनपुर संवाददाता)

